Gulzar Shayari Hindi

Shayari

मुश्किलों के दौर यूं ही कम हो जाते हैं… जब अपनों से अपनों के रिश्ते कम हो जाते हैं…

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इश्क में वफा के सिलसिले भी बड़े अजीब होते हैं… पूरी उम्र में दो चार गिले-शिकवे भी नहीं होते हैं…

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Gulzar Shayari in Hindi

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ए रात तू जरा अपनी चांदनी ओढ़ ले ढलते सूरज की चादर अभी उतारी ही है!...

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इस बदलती उम्र में ज्यादा कुछ नहीं बदलता बस बचपन की नादानियां समझदारी में बदल जाती हैं…

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Gulzar Shayari in Hindi

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लोग शोर मचाते हैं सुर्खियों में आने के लिए… हमारी तो खामोशी भी पूरा अखबार बन जाती है…

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Gulzar Shayari in Hindi

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जिंदगी कुछ इस कदर तन्हा बीत गई… काफिला साथ रहा और सफर तन्हा बीता अब क्या बताएं हम पर क्या गुजर रही हैं।

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Gulzar Shayari in Hindi

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अब तो इस जिंदगी से हार गए और कितना सिखाएगी ऐ जिंदगी… हमें क्या यहां सदियों तक राज करना है!...

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