Gulzar Shayari

Shayari

कमबख्त दिल है कि कहता है कि मुझे एक सहारा चाहिए!! मगर दिमाग इस दिल से कहता है कि क्या तुझे एक और धोखा दोबारा चाहिए?

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Gulzar Shayari

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इस जिंदगी में हम ना जाने कितनी बेचैनियों को साथ में लिए फिरते हैं सिर्फ एक सुकून की तलाश में..

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ए जिंदगी तेरे जख्मों में मैं टूट कर बिखर जाना चाहता हूं बिखर के मैं फिर से निखर जाना चाहता हूं अभी तो मैं गुलजार हूं लेकिन मैं गुलेगुलजार होना चाहता हूं।

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Gulzar Shayari

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पूरा पाने की चाहत में हम कभी आधा भी छोड़ आते हैं कभी आसमां की तरफ देख लो तो चांद आधा भी खूबसूरत ही लगता है।

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Gulzar Shayari

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मेरी खामोशी को अगर तुम समझते तो इसमें शोर भी है और सन्नाटा भी मेरी आंखों की तरफ गौर तुम करते तो इसमें लिहाज भी है और कुछ और भी…

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Gulzar Shayari

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प्यार में अब यह दिल, मासूम भी नहीं रहा, पत्थर तो नहीं है, लेकिन मोम सा भी नहीं रहा।

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Gulzar Shayari

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इश्क में वफा का इंसाफ हम किस से मांगते इश्क भी तेरा, बेवफाई भी तेरी शहर भी तेरा, वकालत भी तेरी।

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